ड्रोन फार्मिंग क्या है

       ड्रोन फार्मिंग तकनीक 

ड्रोन फार्मिंग एक नई तकनीक है जो किसानों को अपनी फसलों की स्थिति को मानव इंटरफेस के माध्यम से नियंत्रित करने की अनुमति देती है। इसमें ड्रोन के उपयोग से कृषि उपकरणों द्वारा संग्रहित डेटा का उपयोग करके फसलों की स्थिति को नियंत्रित किया जाता है।



ड्रोन फार्मिंग के द्वारा किसानों को फसलों की स्थिति की जानकारी मिलती है जैसे कि फसलों की ऊंचाई, खाद की आवश्यकता, पानी की आवश्यकता आदि। इसके अलावा, ड्रोन फार्मिंग से किसानों को फसलों की संभावित फसल उत्पादन की जानकारी भी मिलती है।

ड्रोन फार्मिंग के लिए ड्रोन के अलावा सेंसर्स, जैसे कि थर्मल सेंसर, बारोमीटर आदि का उपयोग किया जाता है। इन सेंसर्स के माध्यम से ड्रोन फसल के साथ बातचीत करता है और फसल की स्थिति को नियंत्रित करता है।

ड्रोन फार्मिंग के द्वारा किसानों को उनकी फसलों की स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है जो उनके फसलों को स्वस्थ रखने में मदद करती है। 



ड्रोन को कृषि क्षेत्र में उपयोग

ड्रोन को कृषि क्षेत्र में कई तरह से उपयोग किया जा सकता है। कुछ मुख्य तरीकों में शामिल हैं:

1. खेतों की मॉनिटरिंग: ड्रोन के साथ लगाई गई कैमरे से खेतों को मॉनिटर करके उनकी स्थिति का विश्लेषण किया जा सकता है। इससे खेतों की उपज और स्थिति की जानकारी मिलती है जिससे उन्हें अधिक समझने और संभवतः समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलती है।



2. जल संसाधनों की निगरानी: ड्रोन के साथ लगाई गई सेंसर टेक्नोलॉजी के माध्यम से जल संसाधनों को मॉनिटर किया जा सकता है। जल संसाधनों को मॉनिटर करने से नदियों, झीलों, तालाबों आदि की स्थिति का पता चलता है जिससे उन्हें अधिक संरक्षित बनाने में मदद मिलती है।

3. कीटनाशक बोट एवं स्प्रेयर: ड्रोन को कीटनाशक बोट या स्प्रेयर के रूप में उपयोग किया जा सकता है जिससे फसलों को कीटनाशक दवाइयों या उर्वरकों से स्प्रेय किया जा सकता है। इससे समय और श्रम की बचत होती है और फसल के संरक्षण में मदद मिलती है।

4. बीज बोनाई: ड्रोन के साथ लगाई गई बीज बोनाई मशीन के द्वारा फसल के बीज बोने जा सकते हैं। इससे बीजों का उचित स्थान और दूरी का आकलन सटीकता से किया जा सकता है जो फसल के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।

5. सिंचाई व्यवस्था: ड्रोन के साथ सेंसर लगाकर खेतों की सिंचाई व्यवस्था का भी निरीक्षण किया जा सकता है। इससे खेतों के समस्याओं का समाधान करने और बेहतर सिंचाई की योजना बनाने में मदद मिलती है।



6. फसल के विकास का मॉनिटरिंग: ड्रोन के साथ लगाई गई वीडियो या फोटो कैमरे से फसल के विकास का मॉनिटरिंग किया जा सकता है। इससे फसल के स्वास्थ्य और उत्पादकता का पता चलता है जिससे उन्हें समझने और संभवतः समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलती है।

इन सभी उपयोगों के अलावा, ड्रोन को खेती के लिए अन्य कई तरीकों में भी उपयोग किया जा सकता है। ड्रोन का उपयोग करने से न केवल समय और श्रम की बचत होती है।

7. कीटनाशक और खाद ड्रोन: कुछ ड्रोन कीटनाशक या खाद छिड़कने के लिए भी उपयोग किए जाते हैं। ये ड्रोन खेतों पर चलाए जाते हैं और कीटों को मारने या खाद को छिड़कने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

8. मार्केटिंग और बिक्री: कुछ ड्रोन खेती से संबंधित उत्पादों के मार्केटिंग और बिक्री में भी उपयोग किए जाते हैं। इन ड्रोन से उत्पादों की तस्वीरें और वीडियो बनाई जा सकती हैं, जिससे उन्हें विभिन्न विपणन माध्यमों के माध्यम से विक्रय किया जा सकता है।

इन सभी उपयोगों के अलावा, ड्रोन खेती के लिए वैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान में भी उपयोग किया जाता है। ये ड्रोन खेतों के उपयोग से उत्पन्न डेटा का संग्रह करते हैं, जिससे अधिक संभवता से उत्पादकता बढ़ाने और खेती को सुस्त और उपजाऊ बनाने के लिए नए तकनीकों और उपयोग के विकास में मदद मिलती हैं।

भारत सरकार ने अनेक ड्रोन योजनाओं की शुरुआत की है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं निम्नलिखित हैं:

1. भारत सरकार द्वारा संचार मंत्रालय के तहत "वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान और विकास ड्रोन एग्जीक्यूटिव" योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान के क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का विकास किया जाएगा।


2. "ऑपरेशन ग्रीन" योजना: भारत सरकार ने इस योजना के अंतर्गत एक विस्तृत ड्रोन नेटवर्क विकसित करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत, ड्रोन से वनों की निगरानी की जाएगी। इसके अलावा, ड्रोन से प्रदूषण निगरानी, सीमा सुरक्षा, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वालों की सुरक्षा और अन्य गतिविधियों के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा।

3. "स्वरोजगार योजना": इस योजना के तहत, भारत सरकार ने ड्रोन संबंधित क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिए कुछ पहलों की शुरुआत की है।



4. "ड्रोन प्रयोग द्वारा बीज बोने की योजना": भारत सरकार ने इस योजना के अंतर्गत ड्रोन से खेती के लिए बीज बोने की योजना शुरू की है। इसके तहत, ड्रोन से सुचारु किए गए खेतों में बीज बोने के लिए उपयोग किया जाता है। इससे खेती के अधिकांश काम आसान होते हैं और ज्यादा फसल उत्पादन किया जा सकता है।

5. "उड़ान" योजना: भारत सरकार ने उड़ान योजना के अंतर्गत एक नई ड्रोन उड़ान सेवा शुरू की है। इस सेवा का उद्देश्य, दूरस्थ इलाकों में आवश्यक औद्योगिक वस्तुओं जैसे कि दवाइयाँ, खाद्य पदार्थ और अन्य वस्तुओं को संचार करना है। इससे समय और श्रम दोनों की बचत होती है।

इन योजनाओं के अलावा, भारत सरकार ने अन्य क्षेत्रों में भी ड्रोन का उपयोग करने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं।

ड्रोन की कीमत 

ड्रोन की कीमत बहुत विभिन्न होती है और यह विभिन्न तत्वों पर निर्भर करती है जैसे कि उपयोग का उद्देश्य, फीचर्स, दूरी की क्षमता, बैटरी का समय और निर्माता आदि।

छोटे आकार के बेसिक ड्रोन की कीमत लगभग 10000 से 30000 रुपये के बीच होती है, जबकि उन्नत सुविधाओं वाले पेशेवर ड्रोन की कीमत लाखों तक जा सकती है। 

इसके अलावा, ड्रोन के साथ-साथ आने वाले उपकरणों जैसे कि कैमरे, सेंसर, जीपीएस, ट्रांसमिटर आदि भी इसकी कीमत पर प्रभाव डालते हैं।

एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु है कि ड्रोन खरीदने से पहले अपनी आवश्यकताओं और बजट को ध्यान में रखना चाहिए।

भारत सरकार ड्रोन फार्मिंग के लिए किसानों को सब्सिडी

भारत सरकार द्वारा ड्रोन फार्मिंग के लिए किसानों को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग सब्सिडी योजनाएं चलाई जाती हैं। कुछ राज्यों में ड्रोन फार्मिंग के लिए किसानों को सब्सिडी योजनाएं चलाई जा रही हैं जैसे कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान आदि।

उदाहरण के लिए, पंजाब सरकार द्वारा चलाई जाने वाली "पंजाब स्मार्ट फार्मिंग स्कीम" के तहत किसानों को ड्रोन फार्मिंग के लिए अनुदान प्रदान किया जाता है। इसी तरह, हरियाणा सरकार द्वारा चलाई जाने वाली "मेरी फसल मेरा ब्यौरा" योजना के तहत भी किसानों को ड्रोन से खेती करने के लिए अनुदान प्रदान किया जाता है।

इसलिए, जहाँ तक भारत सरकार द्वारा ड्रोन फार्मिंग के लिए सब्सिडी योजनाओं की बात है, किसानों को अपने राज्य सरकार के कृषि विभाग से संपर्क करना चाहिए और उनकी योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

ड्रोन फार्मिंग के लिए सब्सिडी की राशि 

ड्रोन फार्मिंग के लिए सब्सिडी की राशि विभिन्न राज्यों और सरकारों द्वारा निर्धारित की जाती है। इसलिए, सब्सिडी की राशि भिन्न-भिन्न राज्यों या सरकारों में भिन्न हो सकती है।

उदाहरण के लिए, राजस्थान सरकार द्वारा चलाई जाने वाली ड्रोन फार्मिंग की योजना के तहत, किसानों को 50% तक सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसी तरह, पंजाब सरकार द्वारा चलाई जाने वाली स्मार्ट फार्मिंग स्कीम के तहत किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए 50% तक सब्सिडी प्रदान की जाती है।

अधिकतम सब्सिडी राशि को निर्धारित करने में कुछ तत्वों का ध्यान रखना पड़ता है, जैसे कि ड्रोन के लिए आवश्यक बजट, उपलब्ध धनराशि, किसानों की आर्थिक स्थिति आदि।



इसलिए, सब्सिडी की राशि विभिन्न राज्यों और सरकारों में भिन्न होती है। किसानों को अपने राज्य सरकार के कृषि विभाग से संपर्क करके वे सब्सिडी की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Facebook-Instagram Down: फेसबुक, इंस्टाग्राम हुआ डाउन, अपने आप लॉगआउट हो रहे अकाउंट

लाल नहीं,काला टमाटर खाइए!